EMI Bounce – आजकल कार या बाइक खरीदने के लिए लोन लेना आम बात हो गई है। लेकिन अगर किसी वजह से लोन की EMI समय पर न चुकाई जाए तो दिक्कतें शुरू हो जाती हैं। खासतौर पर तब जब बैंक या फाइनेंस कंपनी रिकवरी एजेंट भेजकर आपकी गाड़ी उठवा ले जाती है। ऐसे में कई लोग घबरा जाते हैं और उन्हें समझ नहीं आता कि अब क्या करें। लेकिन ध्यान दीजिए – भले ही आपने ईएमआई नहीं चुकाई हो, आपके भी कुछ कानूनी अधिकार होते हैं। आइए आसान भाषा में समझते हैं कि ऐसी हालत में क्या करना चाहिए।
ईएमआई नहीं भरने पर बैंक सबसे पहले क्या करता है?
अगर आपने गाड़ी के लोन की किस्त नहीं भरी तो बैंक सबसे पहले आपको कॉल करेगा या रिमाइंडर भेजेगा। इसके बाद बैंक एक या दो नोटिस भेजता है जिसमें किस्त भरने की बात कही जाती है। अगर आपने नोटिस का जवाब नहीं दिया और लगातार तीन किस्तें बाउंस हो गईं तो बैंक उस लोन को एनपीए यानी नॉन परफॉर्मिंग एसेट घोषित कर देता है। फिर बैंक रिकवरी एजेंट भेजता है जो आपके घर या ऑफिस आ सकता है।
रिकवरी एजेंट जबरदस्ती गाड़ी उठा ले जाए तो क्या करें?
अगर रिकवरी एजेंट आपके घर आकर बिना बताए या जोर-जबरदस्ती से गाड़ी उठा ले जाए, तो आपको डरने की जरूरत नहीं है। सबसे पहले जान लें कि कोई भी एजेंट आपकी गाड़ी जबरन नहीं ले जा सकता। अगर वो ऐसा करता है, तो आप थाने जाकर सीधे शिकायत कर सकते हैं। गाड़ी उठाने से पहले बैंक या एजेंट को आपको एक नोटिस देना होता है और कुछ फॉर्मल प्रोसेस पूरी करनी होती है।
जानिए क्या हैं आपके अधिकार
- गाड़ी जबरन नहीं उठाई जा सकती: कोई एजेंट आपके साथ मारपीट या गाली-गलौच नहीं कर सकता और बिना कागज दिखाए गाड़ी भी नहीं ले जा सकता।
- आपकी जानकारी गोपनीय रहेगी: एजेंट आपकी आर्थिक हालत की जानकारी किसी और को नहीं बता सकता, ना ही आपके पड़ोसियों या रिश्तेदारों को।
- वक्त और तरीका तय है: रिकवरी एजेंट सुबह 7 बजे से पहले और रात 7 बजे के बाद आपके घर नहीं आ सकते। और इस तय वक्त के बाहर फोन भी नहीं कर सकते। अगर ऐसा हो रहा है तो आप बैंक या पुलिस में शिकायत कर सकते हैं।
- एक महीना मिलता है गाड़ी वापस लेने का: अगर आपकी गाड़ी ले भी ली गई है तो भी आपके पास एक महीने का वक्त होता है कि आप बकाया राशि, पेनल्टी और पार्किंग चार्ज देकर अपनी गाड़ी वापस ले सकें।
अगर वाकई परेशानी में हैं तो बैंक से बात करें
कई बार लोगों की आर्थिक हालत थोड़े समय के लिए बिगड़ जाती है। ऐसी स्थिति में छिपने या नजरअंदाज करने की बजाय बैंक से सीधा बात करें। उन्हें बताएं कि आप थोड़े समय में ईएमआई भर देंगे और थोड़ा वक्त मांगे। कई बैंक ऐसे मामलों में कुछ दिन की छूट दे देते हैं, हालांकि उसके साथ पेनल्टी या एक्स्ट्रा चार्ज लग सकता है। फिर भी ये तरीका बेहतर है बजाए इसके कि आपकी गाड़ी जब्त हो जाए और क्रेडिट स्कोर भी खराब हो।
अगर एजेंट बदतमीजी करे तो शिकायत ज़रूर करें
अगर कोई रिकवरी एजेंट आपके साथ बदतमीजी करता है, धमकी देता है या आपके परिवार को परेशान करता है, तो सबसे पहले बैंक में लिखित शिकायत करें। अगर वहां से कोई मदद नहीं मिलती तो बैंकिंग लोकपाल के पास जा सकते हैं। जरूरत पड़ी तो पुलिस में भी रिपोर्ट दर्ज कराएं। साथ ही कोशिश करें कि एजेंट से हुई बातचीत का ऑडियो या वीडियो रिकॉर्ड रख लें ताकि अगर मामला बढ़े तो आपके पास सबूत हो।
सावधानी और समझदारी से करें लोन की प्लानिंग
लोन लेते वक्त हमेशा ध्यान रखें कि आप उसे आसानी से चुका सकें। ज्यादा लंबी किश्तें और ऊंची रकम के चक्कर में ना पड़ें। अगर ईएमआई टाइम पर नहीं भर सकते तो बैंक को तुरंत बताएं। साथ ही, अपने सभी दस्तावेज और बातचीत का रिकॉर्ड रखें ताकि जरूरत पड़ने पर आप अपने हक की लड़ाई लड़ सकें।
लोन लेना आसान है, लेकिन किस्त चुकाना और नियमों का पालन करना जरूरी है। अगर आप मुश्किल में हैं तो बैंक को बताएं, लेकिन किसी भी तरह की जबरदस्ती या गलत व्यवहार को चुपचाप सहना सही नहीं है। अपने अधिकार जानें, गलत चीजों का विरोध करें और जरूरत हो तो कानूनी सलाह भी लें।