Gas Cylinder Rate – देशभर के आम लोगों के लिए एक बड़ी राहत की खबर है। सरकार ने 14.2 किलो वाले घरेलू एलपीजी गैस सिलेंडर की कीमतों में कटौती की है। लगातार बढ़ती महंगाई के बीच यह फैसला लोगों के लिए किसी सुकून से कम नहीं है। खास बात ये है कि ये कटौती ऐसे वक्त में आई है जब हर तरफ महंगाई की चर्चा हो रही है और रसोई का खर्च आम आदमी की कमर तोड़ रहा था।
कैसे कम हुईं सिलेंडर की कीमतें?
सरकार ने घरेलू गैस सिलेंडर की कीमतें घटाने के पीछे कई कदम उठाए हैं। सबसे पहले तो अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट देखने को मिली, जिससे आयात सस्ता हुआ। इसके अलावा सरकार ने सब्सिडी को थोड़ा बढ़ाया है और लॉजिस्टिक कॉस्ट यानी डिलीवरी वगैरह की लागत को भी कंट्रोल किया है। इन तमाम उपायों से कीमतों में लगभग 50 रुपये की राहत मिल पाई है।
बड़ी-बड़ी शहरों में क्या हैं नए रेट?
अब बात करें बड़े शहरों की तो दिल्ली में सिलेंडर की कीमत 900 से घटकर 850 रुपये हो गई है। मुंबई, चेन्नई, कोलकाता, पुणे, हैदराबाद जैसे शहरों में भी लगभग इतनी ही राहत मिली है। यानी हर जगह अब एलपीजी सिलेंडर थोड़ा सस्ता मिल रहा है, जिससे हर महीने के खर्च में कुछ बचत हो जाएगी।
छोटे व्यापारियों को भी होगा फायदा
सिर्फ घर के किचन तक ही नहीं, ये राहत छोटे दुकानदारों और ढाबा चलाने वालों के लिए भी अच्छी खबर है। चाय नाश्ता की दुकान हो या छोटा होटल, एलपीजी की कीमत में कटौती से उनका मुनाफा बढ़ेगा या फिर वे ग्राहकों को थोड़ा सस्ता सामान दे पाएंगे।
क्यों घटती हैं कीमतें?
एलपीजी की कीमतें घटाने के पीछे कुछ खास कारण होते हैं। जैसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें कम होना, सरकार की नीतियों में बदलाव, स्थानीय टैक्स में राहत और सप्लाई चेन को दुरुस्त करना। इसके अलावा, सरकार समय-समय पर जरूरतमंदों को राहत देने के लिए भी कीमतों में कटौती करती है ताकि आम लोग गैस सिलेंडर का उपयोग आसानी से कर सकें।
लंबे समय तक राहत कैसे मिलेगी?
अब सवाल उठता है कि क्या ये राहत स्थायी होगी? इसके लिए सरकार को सब्सिडी का दायरा बनाए रखना होगा। साथ ही लॉजिस्टिक्स और टैक्स के मोर्चे पर भी ध्यान देना होगा। अगर सरकार आने वाले समय में इन्हीं नीतियों को जारी रखती है तो हो सकता है कि एलपीजी सिलेंडर की कीमतें एक सीमा तक स्थिर रहें और हर कुछ महीने में थोड़ी राहत मिलती रहे।
पर्यावरण को भी होगा फायदा
कम कीमत पर सिलेंडर मिलने का एक फायदा ये भी है कि लोग अब ज्यादा संख्या में गैस सिलेंडर का इस्तेमाल करेंगे। इससे लकड़ी या कोयले जैसी चीजों का इस्तेमाल कम होगा, जो कि पर्यावरण के लिए अच्छा है। यानी ये फैसला न सिर्फ आर्थिक बल्कि पर्यावरण के लिहाज से भी फायदेमंद है।
लोगों की प्रतिक्रिया क्या है?
जो लोग महीने की शुरुआत में सिलेंडर रिफिल कराने से पहले दो बार सोचते थे, अब थोड़ी राहत महसूस कर रहे हैं। कई उपभोक्ताओं ने बताया कि अब उन्हें थोड़ा सुकून मिला है और वे अपने बजट को बेहतर ढंग से मैनेज कर पा रहे हैं।
भविष्य में क्या उम्मीद?
हाल फिलहाल सरकार की मंशा दिख रही है कि वह जनता पर आर्थिक बोझ कम करने के पक्ष में है। हालांकि आने वाले समय में कीमतें फिर से बढ़ेंगी या और घटेंगी, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि कच्चे तेल की कीमतें क्या रहती हैं और सरकार की नीति क्या रुख अपनाती है।
गैस सिलेंडर की कीमतों में आई यह कटौती आम आदमी के लिए राहत की सांस जैसी है। महीने के खर्च में थोड़ी बहुत ही सही लेकिन सीधी बचत होती है। अब सभी की निगाहें इस पर टिकी हैं कि सरकार आगे और क्या कदम उठाती है। फिलहाल तो यही कहा जा सकता है कि जो भी हो, ऐसे फैसले आम जनता को थोड़ा मुस्कुराने का मौका जरूर देते हैं।